खोरीबाड़ी। एक फसल की कटाई के बाद दूसरी फसल की बुआई के बीच समय अन्तराल की कमी, कम्बाईन हार्वेस्टर से फसलों की कटाई , कृषि मजदूरों की कमी आदि के कारण किसानों में फसल अवशेष जलाने की प्रकृति बढ़ी है । परन्तु फसलों का अवशेष जलाने से मिट्टी तथा मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । मिट्टी एवं मानव स्वास्थ्य पर फसल अवषेष जलाने के कारण गंभीर दूरगामी दुष्प्रभाव भी होंगे । किसानों को इसके लिये जागरुक भी किया जा रहा है । इसी कड़ी में
सीमावर्ती मध्य विद्यालय गलगलिया के प्रांगण में जिला कृषि पदाधिकारी किशनगंज के निर्देश पर सोमवार को फसल अवशेष प्रबंधन हेतु शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया । विद्यालय के प्रार्थना सभा में ही फसल अवशेष प्रबंधन के महत्व पर सभी छात्र – छात्राओं एवं शिक्षकों को शपथ दिलाई गई कि फसल की कटाई के बाद फसल अवशेषों को खेतों में न जलाने के लिए अपने परिवारजनों एवं सगे-संबधियों को प्रेरित करूँगा । फसल अवशेष को खेतो में जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में बताऊंगा साथ ही फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उन्हें प्रेरित करूँगा । बताते चले कि फसल कटाई के बाद बचे हुए शेष भाग जैसे डंठल, पुआल आदि को फसल अवशेष कहते हैं । कुछ वर्षों से किसानों द्वारा समय एवं मजदूरों की कमी के कारण फसल अवशेषों को खेतों में जलाने की प्रवृति बढ़ी, जिसके दुष्परिणाम मिट्टी एवं मानव स्वास्थ्य पर पड़े । प्रधानाध्यापक अर्जुन पासवान ने बताया कि फसल अवशेषों को खेत मे जलाने से सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, नाक एवं गले की समस्या बढ़ती है । वहीं विद्यालय के शिक्षक विकास कुमार ने बताया कि फसल अवशेषों को खेतों में जलाने के बदले उसका उपयोग मिट्टी में मिलाने एवं वर्मी कम्पोस्ट बनाने में किया जा सकता है।
ऐसी और खबरें पाने के लिए सब्सक्राइब करें