मालदा 1971 में अमर शहीद हुए रायपद दास को मरणोपरांत सेना पदक से सम्मानित किया गया।भारत सरकार द्वारा प्रदत्त कैज्यूल्टी सर्टिफिकेट बीएसएफ ने उनकी धर्मपत्नी को सौपा।
वर्तमान बांग्लादेश वर्ष1971 से पहले पूर्वी पाकिस्तान के रूप में स्थापित था। जनमानस को अपने मूलभूत अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ा था। इससे पूरा विश्व अवगत है।पाकिस्तान की आर्मी के द्वारा बर्बरता पूर्ण तरीके से बांग्लादेश की आमजनता पर अपने हुक्म को मनवाने के लिए किया जा रहा था वह जग जाहिर है।लोगों के अंदर पाकिस्तानी आर्मी के प्रति आक्रोश क्रांति का रूप ले रहा था।इस चिनगारी को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपना समर्थन दिया और परिणाम 1971 का युद्ध सामने आया।1971 के युद्ध मे भारत माँ के अनेक सपूतों ने बलिदान देकर एक नये राष्ट्र ‘बांग्लादेश’का गठन किया।इसी क्रम में मुख्य आरक्षक रायपद दास ने प्रथम सशस्त्र पुलिस वाहिनी पश्चिम बंगाल बैरकपुर में 11अप्रैल 1960 को योगदान किया था।1 दिसम्बर 1965 को सीमा सुरक्षा बल के स्थापना के उपरान्त 1 अप्रैल 1966 को प्रथम वाहिनी सशस्त्र पुलिस पश्चिम बंगाल सीमा सुरक्षा बल में 70 वीं वाहिनी के रूप में रायगंज पश्चिम बंगाल में समाविष्ट हुए। 5 नवम्बर 71 में 70 वीं वाहिनी की अल्फा कम्पनी पाकिस्तानी आर्मी से अर्न्तराष्ट्रीय सीमा त्रिशुला पोखर के इलाके में लोहा ले रही थी। तब सीमित संसाधनों और न्युनतम जनशक्ति के बावजूद भी दुश्मन के दांत खट्टे कर रही थी। इस युद्ध में मुख्य आरक्षक रायपद दास ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया और अंत मे गोली लगने से शहीद हो गए।मुख्य आरक्षक रायपद दास के बलिदान को भारत सरकार ने सम्मान देते हुए सेना पदक से अलंकृत किया है।
आज भारत सरकार के द्वारा दिया गया ‘कैज्यूल्टी सर्टीफिकेट’ 70 वीं वाहिनी द्वारा शहीद रायपद दास की धर्मपत्नी वीर नारी श्रीमती सुवेंनकारी दास को उनके गृह निवास पर जाकर प्रदान किया गया।
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