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अशोक भट्टाचार्य द्वारा लिखित पुस्तक ”फिरे देखा अमार तीन दशक” का आज प्रकाशन हुआ

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सिलीगुड़ी। अशोक भट्टाचार्य द्वारा लिखित पुस्तक ”फिरे देखा अमार तीन दशक” का आज प्रकाशन हुआ। इस अवसर पर सिलीगुड़ी कस्बे की प्रमुख हस्तियां, अशोक भट्टाचार्य के सहयोगी एवं पत्रकार मित्र उपस्थित थे। यात्रा बीसवीं सदी के नब्बे के दशक में शुरू हुई, फिर एक लंबा सफर तय किया और इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक में नहीं रुका। न केवल समाज बनाने के संघर्ष में, वह आधुनिक शहर सिलीगुड़ी के वास्तुकारों में से एक हैं। उनका संघर्ष हमेशा सिलीगुड़ी को राज्य और देश की सीमाओं से परे दुनिया के सामने पेश करने का था। तो यह इच्छा शक्ति भले ही शत-प्रतिशत सफल न हुई हो, लेकिन उसने बंगाल के इस छोटे से शहर को राज्य में, भारत में और दुनिया के दरबार में स्थापित किया है। राजनीति से लेकर प्रशासन तक, समाज से शिक्षा तक, खेल से लेकर संस्कृति तक हर क्षेत्र के विकास में उनकी भूमिका अपार थी। अशोक भट्टाचार्य की दिवंगत पत्नी रत्ना भट्टाचार्य महाशय ने इस अथक प्रयास में अग्रणी भूमिका निभाई। आज पुस्तक विमोचन की कुछ प्रमुख बातें हैं।

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