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वोटिंग को लेकर नई अर्जी देखने के बाद चीफ जस्टिस ने सभी मामलों की सुनवाई स्थगित करने की धमकी दी

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live aapnews : 

कलकत्ता हाई कोर्ट में पंचायत चुनाव से जुड़े मामलों का पहाड़ जमा हो गया है. सोमवार को कम से कम 73 पंचायत मामलों की सुनवाई होगी. इस बीच चीफ जस्टिस टीएस शिवागनम ने नई अर्जी की कॉपी देखकर नाराजगी जताई.
उन्होंने सभी मामलों की सुनवाई टालने की भी धमकी दी.
उच्च न्यायालय सोमवार को कई पंचायत मामलों की सुनवाई कर रहा है। मुख्य न्यायाधीश एवं न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की संयुक्त पीठ में करीब 26 जनहित के मामले हैं.
उनमें से एक मुकदमे में एक वादी नई अर्जी लेकर अदालत पहुंचा।
जिसे सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने नाराजगी व्यक्त की. इस संबंध में उनकी टिप्पणी है, ”मामला चल रहा है. तुम फिर खर्राटे क्यों ले रहे हो? इस पर अधीर रंजन चौधरी का केस है. इसके अलावा भी बहुत सारे मामले हैं. लेकिन हमें सभी मामलों की सुनवाई टालने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.’ पिछले कुछ महीनों में कोई काम नहीं हुआ है.

मुख्य न्यायाधीश ने वादी के वकील को संबोधित करते हुए कहा, ”मुकदमा दायर हो चुका है.” दोबारा आवेदन क्यों करें? केस वापस लें. अगर नहीं तो मैं 24 घंटे के अंदर केस खारिज कर दूंगा और भारी जुर्माना लगाऊंगा. क्या आप अदालत के साथ राजनीति खेलने की कोशिश कर रहे हैं? ”कोर्ट के सामने पारदर्शी छवि बनाए रखें.”
इसके बाद याचिकाकर्ता के अड़ियल रवैये को देखते हुए मुख्य न्यायाधीश ने उनका केस खारिज कर दिया और जुर्माना लगाने का आदेश दिया. याचिकाकर्ता को 48 घंटे के भीतर 1 लाख रुपये का जुर्माना राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय में जमा करने को कहा गया है. इसके बाद उनके वकील ने कहा कि वे तुरंत अर्जी वापस ले रहे हैं.

राज्य में पंचायत चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद से हाई कोर्ट में कई मामले दायर किये गये हैं. इनमें कई जनहित के मामले भी हैं। हिंसा की शुरुआत मतदान के नामांकन चरण से ही हो गई. चुनाव संबंधी हिंसा में अब तक 54 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से केवल 22 लोगों की जान मतदान के दिन हुई झड़पों में गई। इस सूची में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य हैं. इसके अलावा वोट में धांधली और अशांति का आरोप लगाते हुए कई मामले कोर्ट में दायर किए गए हैं. इससे पहले पंचायत के इतने सारे मामलों पर मुख्य न्यायाधीश ने नाराजगी जतायी. उन्होंने सोमवार को फिर अपनी निराशा जाहिर की.

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