रांची, जासं। प्रकृति पर्व करमा भादो एकादशी आज उल्लास पूर्वक मनाई जा रही है। करम भाई-बहन के प्रेम का पर्व भी माना जाता है। बहनें अपने भाईयों की सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखकर पूजा पर बैठेगी। करम राजा से खेतों में अंकुरित बीज की रक्षा की भी कामना की जाएगी। देर शाम पाहन अखरा में करम-धरम की कथा सुनाएंगे। इस दौरान नृत्य संगीत का वातावरण रहेगा। रात भर करम डाली के पास पूजा-अर्चना की जाएगी।
इस दौरान रात भर करम लोकनृत्य व संगीत का दौर चलता रहेगा। युवावर्ग मांदर की थाप पर जमकर नृत्य करेंगे। पहान या प्रधान करम राजा की पूजा कराएंगे। मान्यतानुसार कन्याएं भाइयों को जंगली घास की राखी बाधेंगी। अगली सुबह पास की नदी में करम राजा व जावा का विसर्जन किया जाएगा।
इधर, मुख्यमंत्री रघुवर दास ने समस्त झारखंडवासियों को प्रकृति पर्व करम पूजा की बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि झारखंड की पहचान और संस्कृति के मूल में प्रकृति की पूजा है। हमारे आदिवासी भाई-बहन प्रकृति के संरक्षक रहे हैं। आज लोकगीतों पर ढोल-मांदर की थाप ऐसी पड़े कि पूरा परिवेश झूम उठे। हर भाई अपनी बहनों को तीन करम के डाल दे जिसे बहन भगवान के, समाज के और परिवार के नाम से रोपेंगी। इससे हमारे जीवन में प्रकृति और हरियाली के महत्व के साथ समस्त सृष्टि के प्रति कृतज्ञता का बोध होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें मिलकर झारखड को और हरा-भरा बनाना है।